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यहाँ कोहरा है घना
हमें अपनी लय में समोता हुआ
यह स्रोत है शायद एक नदी का
मैं सुनता हूँ यहाँ मत्स्य-परी का गीत
झील के इस पार
जहाँ शहर था कभी ।
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यहाँ कोहरा है घना
हमें अपनी लय में समोता हुआ
यह स्रोत है शायद एक नदी का
मैं सुनता हूँ यहाँ मत्स्य-परी का गीत
झील के इस पार
जहाँ शहर था कभी ।