शायद सात साल की बच्ची / रविकान्त

हमें भी तो होगा वह दर्द
वह टीस उठेगी ही
नहीं उठती है (?) जो
उस मोहक बच्ची के पिता में
माँ की जो मजबूरी है
उसे समझेगा कौन देश
या
मैं-आप?

गुलाबी मशरूम-सा वह चेहरा
चूम लेना चाहा जिसे
मन झिझका
वह सुंदर है, भोली है ऐसी
घर में, परिचितों में
बमुश्किल कोई होगा तो होगा
वैसा प्यारापन फिर भी न होगा
औघड़ों की जटाओं-सी लड़ियाँ पड़ी थीं
उसके सूखे-भूरे बालों ने
कुछ भद्दा-सा कहा
मैंने सुना

हिम्मत न हुई
मैंने नजरें मिलाईं
क्षोभ से देखा
उसने मेरे घुटनों पर सर रख दिया
मुझे देखा...

निंदा की मैंने यात्रियों से इस पेशे की
परिस्थिति पर चिंता दर्ज की
कोमल मुख को फिर न देखा
वह रोई नहीं, झिझकी नहीं
समझ ली और चली गई

अगले कूपे से मैदे की लूची खाते हुए लौटी
आखिरी बार वही देखा

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.