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शारदा-स्तवन / महावीर प्रसाद ‘मधुप’

वीणा के शुचि सरस स्वरों से नव-संगीत सुना दे माँ!
मधुपूरित हो जीवन-घट वह गीत मधुरतम गा दे माँ!

प्रखर ज्ञान की ज्योति जला कर मानस तिमिर नशा दे माँ!
वाणी में भर ओज अपरिमित भाव-सुमन विकसा दे माँ!

नत-मस्तक पर वरद् हस्त रख भव भय दूर भगा दे माँ!
पूजा का अधिकार मुझे दे जीवन धन्य बना दे माँ!

आ विराज मेरे हृदयासन पर कुछ दया दिखा दे माँ!
आकुल तृषावंत प्राणों में स्नेह-सुधा सरसा दे माँ!

घोल अमीरस रूद्ध कंठ में मोहन मंत्र पढ़ा दे माँ!
कीर्ति-कौमुदी छिटके भू पर ऐसी कला सिखा दे माँ!

कर पाऊँ गुणगान भली विधि सत्य मार्ग दर्शा दे माँ!
दे वरदान अभीष्ट सिद्धि का सब दुख दैन्य मिटा दे माँ!