जब देखो
मेरे आसपास बिखरी पड़ी रहती हैं
मेरी ही अनगिनत शिकायतें
ज्यादातर तुमसे
कुछ ईश्वर से
और कुछ अपने आप से
असल में वो मेरी
उम्मीदें हैं
जो शिकायतों का भेष बनाकर
उन उनसे मिलती हैं
जिनसे वो हैं
जब देखो
मेरे आसपास बिखरी पड़ी रहती हैं
मेरी ही अनगिनत शिकायतें
ज्यादातर तुमसे
कुछ ईश्वर से
और कुछ अपने आप से
असल में वो मेरी
उम्मीदें हैं
जो शिकायतों का भेष बनाकर
उन उनसे मिलती हैं
जिनसे वो हैं