वेतन भी है, शिक्षक भी हैं, केवल छात्रा नहीं,
लड़कों का कहना है इतना, शिक्षक नहीं पढ़ाते
विद्यालय तो आते हैं, पर गप्प खाली लड़ाते
शिक्षक कहते, ये बच्चे शिक्षा के पात्रा नहीं ।
हड़तालों-बंदी में शिक्षक गये नहीं लौटेंगे
बिना पढ़े ही छात्रा परीक्षा देंगे, पास करेंगे
वैतरणी में बिना गाय के अब से पार तरेंगे
शिक्षक काॅपी पर अंकों को घोटनी से घोटेंगे ।
वाद-विवादों-संवादों का अब से खेल रुकेगा
खेल खिलाड़ी राजनीति के रण लेंगे, तो छक्का
देशी पाठ पढ़ाने वालों की किस्मत में फुक्का
पता नहीं था श्वेत ध्वजा का ऐसा भाल झुकेगा।
शिक्षा और परीक्षा स्वाहा, शिक्षा-विधि है स्वाहा
सरकारी ‘नजरों’ के कारण सारी निधि है स्वाहा ।