कभी-कभी वे नहीं भी ढूँढ़ पातीं घर शुरू करने की जगह,
फिर भी एक तिनका चोंच में दबाए ही वे ढूँढ़ना शुरू
करती हैं।
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पर्दा हिलता है तो फ़र्श पर तिनके ही तिनके फैल जाते हैं।
मेरे घर की बेघरी में मेरे लिए क्या संकेत हैं?
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वे मेरी छत पे पड़े झाड़ू से धीरे-धीरे अपना घर तोड़कर
लाती हैं। मेरे ही सामने मेरे घर के अर्थ का अभ्यास
करती हैं।