शिव है मतवाला, रूप निराला, भाल चन्द्रमा सोहे।
मानस अभियंता, जगत नियंता, रूप सभी को मोहे॥
प्रभु दरश दिखा दो, कष्ट मिटा दो, सेवक होहिं निहाला।
भोला है शंकर, जय प्रलयंकर, जय हो डमरू वाला॥
शिव है मतवाला, रूप निराला, भाल चन्द्रमा सोहे।
मानस अभियंता, जगत नियंता, रूप सभी को मोहे॥
प्रभु दरश दिखा दो, कष्ट मिटा दो, सेवक होहिं निहाला।
भोला है शंकर, जय प्रलयंकर, जय हो डमरू वाला॥