जेठ की भीषण
तपती दोपहरी में
लीप रही है घर को
दीवारों को
छत को
मिट्टी की ठण्डक से
अपनी जर्ज़र देह को
सूरज की आंच में तपाकर
ताकि दे सके
अपने बालकों को जीवनदायी शीतलता।
जेठ की भीषण
तपती दोपहरी में
लीप रही है घर को
दीवारों को
छत को
मिट्टी की ठण्डक से
अपनी जर्ज़र देह को
सूरज की आंच में तपाकर
ताकि दे सके
अपने बालकों को जीवनदायी शीतलता।