तुम भीगी रेत पर
इस तरह चलती हो
अपनी पिंडलियों से ऊपर
साड़ी उठाकर
जैसे पानी में चल रही हो !
क्या तुम जान-बूझ कर ऐसा
कर रही हो
क्या तुम शृंगार को
फिर से बसाना चाहती हो?
तुम भीगी रेत पर
इस तरह चलती हो
अपनी पिंडलियों से ऊपर
साड़ी उठाकर
जैसे पानी में चल रही हो !
क्या तुम जान-बूझ कर ऐसा
कर रही हो
क्या तुम शृंगार को
फिर से बसाना चाहती हो?