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शेरनियों से प्रेम / स्वप्निल श्रीवास्तव

 शेरनियों से प्रेम करने के लिए
अदम्य साहस की ज़रूरत होती है

उनकी मुद्राओं से पता नही चलता
कि वे ख़ुश हैं या ख़फ़ा हैं
 
वन्य विशेषज्ञ बताते हैं कि
शेरनियाँ कितनी ही शोख़ और
चंचल क्यों न हों, शिकार करने की
आदत नही छोड़तीं

उन्हें हिरनियों की तरह प्रेम से
पुचकारकर राजी नही किया
जा सकता, बल्कि उनसे मिन्नत
करनी पड़ती है

जब वे हमारी तरफ़ मोहक मुद्रा में
आगे बढ़ती हैं, तो अन्तिम क्षण तक
उनके इरादे पर शक़ बना रहता है
  
कुछ भी हो शेरनियों से प्रेम करने का
अनुभव ही अलग होता है
वे हमारी देह पर छोड़ जाती हैं
अपने पंजों के निशान
जब वे दुखते हैं तो उनकी आक्रामक
मुद्राएँ याद आती हैं