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शेर का अफ़साना / नवीन सागर

मुझे तुम जब चिडियाघर में
देखते हो खाते हुए फेंका गया मांस
तब तुम वह नहीं देखते
शिकार पर झपटता हुआ मैं
जंगल में मेरी दहाड़
और जब तुम यह भी देखते हो
तो इस पूरी परिस्थिति से
अलग होते हो.

तुम चीजों से अलग होते हो
जब उन्‍हें देखते हो

तुमने नहीं देखा मेरा जीवन
कैसे मैं
गुफा में कब कहां पड़ा था
और रोज-ब-रोज क्‍या होता है जीवन

तुमने मुझे शिकार करते देखा
या देखकर शिकार किया

अब तुम सोचते हो
कि मुझे देख रहे हो
मैं जब
हंटर के इशारे पर यहां आया हूं.