दीठ
फेरली पीठ
गमगी ओलखाण,
हुग्या
एक सा
सैंधा-अणसैंधा,
अबै तो
सारै काम
पाड़ोसी कान
बंधगी
सबद स्यूं पिछाण,
हुग्या
निरथक कलम‘र कागद
करूं
निकमां
लीक लीकोलिया
दौरी छूटै
पड़योड़ी लत
जिनगानी रो
दूजो नांव आदत !
दीठ
फेरली पीठ
गमगी ओलखाण,
हुग्या
एक सा
सैंधा-अणसैंधा,
अबै तो
सारै काम
पाड़ोसी कान
बंधगी
सबद स्यूं पिछाण,
हुग्या
निरथक कलम‘र कागद
करूं
निकमां
लीक लीकोलिया
दौरी छूटै
पड़योड़ी लत
जिनगानी रो
दूजो नांव आदत !