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शोकनीय चौताल / मुंशी रहमान खान

की, गांधी प्रभुताई, जगत महँ आई।। टेक।।
जन्‍मे वैश्‍य जाति में आकर अद्भूत कीन्‍ह कमाई।
कर गए नाम अमर दुनिया में हो, कर संसार भलाई।
जगत महँ आई।। 1

नहिं राजा थे किसी देश के उर सम्राट् कहाई।
रहा अंश ईश्‍वर का उन में हो, सकल भूप सिर नाई।।
जगत महँ आई।। 2

सहस वर्ष का जकड़ा भारत रहा गुलाम दुखदाई।
कठिन दुख्‍य निज तन पर सहकर हो, फिर से राज्‍य दिलाई।
जगत महँ आई।। 3

नहिं दुश्‍मन थे किसी धर्म के निशदिन करत सहाई।
कहैं रहमान 'नाथु' के कर से हो अपनी जान गँवाई।।
जगत महँ आई।। 4