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शोर / अर्चना कुमारी

जाने किस लहर से
किनारों पर जम रहे हैं
खामोशियों के नमक

डूबती बातें
कोशिश में है तैरने की

कोई आहट हो
और नमक पिघले

पसरी हुई तन्हाईयों से
शोर भले होंगे।