श्यामा गैया, श्यामा गैया
प्यारी जैसे अपनी मैया।
बछिया को है लाड़ लड़ाती
चाट चाट तन को दुलराती।
मीठा दूध हमें देती है
खुद सानी खाकर ही रहती।
कितने सुन्दर सींग है इसके
रक्षक बन जाते हम सबके।
देखो हमको तक रही है
पूंछ हिला कर बुला रही है।
आओ इसके पास चलें हम
जाकर इसके गले मिले हम।