Last modified on 29 अगस्त 2017, at 19:40

श्रद्धांजलि / अविरल-अविराम / नारायण झा

देशक सपूत
भारतक वीर संतान
अड़ेने अपन छाती
कण-कण रक्षार्थ
अरोपने जान-परान
भेला शहीद महान।

आइयो कहाँ भेली दुखी
कनियों अपरतीव कहाँ लगलनि
हमर भारतमाताकेँ
बेर-बेर खुशीक गंगासँ
नहाइते अयली, आइयो नहेली
एमहर सूट-बूट बला
कुर्ता-पैजामा आ धोती बला
बेर-बेर चाकर करैत अछि
अपन छाती
अपने स' अपन पीठ ठोकि
बनि गेल चोटभुस्सुक
बेसी खुशीसँ सेहो कनैए
तहिना बेसी दुखसँ
हँसि लेलनि माय आइ पुन:।

जन-जन केर श्रवणतंत्र
सुनैए नै, सून्न अछि
तेँ चाहैए हमर लेखनी
बदलि ली सियाही
भरय चाहैए
ओहि शत्रुदलक रक्त
आ लिखय चाहैए
आतताइक विनाशक
एकटा इतिहास पुन:।