Last modified on 20 नवम्बर 2009, at 22:13

श्रम / रामधारी सिंह "दिनकर"

(१)
स्वर्ग की सुख-शान्ति है आराम में,
किन्तु, पृथ्वी की अहर्निश काम में।

(२)
सुख क्या है, पूछ श्रम-निरत किसान से;
पूछता है बात क्या तू बाबू-बबुआन से?