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श्री चन्द्रप्रकाश जगप्रिय / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

‘जगप्रिय’ जी
अंगिका-साहित्य के ॅ
प्रकाश दै छै ।

‘चन्द्रप्रकाश’
जगप्रिय ही नै छै
अंगप्रिय भी ।

‘जगप्रिय’ जी
सीपी में सागर छै
कर्मेॅ कहै छै ।

‘जगप्रिय’ तेॅ
जगोॅ के प्रकाशक
अंगचन्द्र भी ।

‘जगप्रिय’ जी
आरक्षी निरीक्षक
कत्तेॅ सीधा छै ।

‘जगप्रिय’ जी
एक्के बार भेंटोॅ में
याद दिलोॅ में ।

कत्तेॅ बढ़ियाँ
‘गुरू’ पर हायकु
‘जगप्रिय’ के ।

गुरू-पंथ केॅ
बतावै ‘जगप्रिय’
आयकोॅ गुरू ।

‘जगप्रिय’ जी
कविता लिखैवाला
कवि छेकात ।

‘जगप्रिय’ के
अंगिका हायकु
महत्वपूर्ण ।

‘जगप्रिय’ सें
बहुत अपेक्षा छै
अंगवासी केॅ ।

‘जगप्रिय’ जी
अंगिका के भंडार
भरतें रहेॅ ।

उगलै ‘चन्द्र’
भेलै नभ रौशन
अंग-साहित्य ।

‘यशोधरा’ के
नाट्य-रूपान्तरण
‘जगप्रिय’ के ।