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श्री राम-जन्म / अनामिका सिंह 'अना'

दोहा-

हाथ थाम ली लेखनी, धर शुभदा का ध्यान।
रखना कर मम शीश पर, माता रखना मान॥

सुमिरन कर ले राम का, जब तक तन में प्राण।
लिये राम के नाम बिन, 'अना' असंभव त्राण॥

चौपाई-

चैत मास नवमी तिथि आई.
पड़ी अजब हलचल दिखलाई॥
नखत पुनर्वसु सुंदर साजे.
कर्क लग्न में भानु विराजे॥

पीर उदर कौशल्या आई.
भागीं दासी लाने दाई॥
प्रसव वेदना सहती रानी।
आँखों में आया था पानी॥

नंगे पैरों आयी दाई.
जय-जय-जय कौशल्या माई॥
राम जन्म का जब पल आया।
सुर मुनियों ने शंख बजाया॥

दशरथ घर गूँजी किलकारी।
हुए सभी हर्षित नर-नारी॥
रामचंद्र श्यामल छवि प्यारी।
देख-देख माता बलिहारी॥

समाचार शुभ सुन सब धाए.
सुर नर संत सभी हर्षाए॥
अवधपुरी आनंद। समाया।
दिग दिगंत ने मंगल गाया॥

आँगन-आँगन बजी बधाई.
जन्मे कौशल्या रघुराई॥
मातु शारदे हुईं सहाई.
'अना' जन्म की कथा सुनाई॥

सारी नगरी सज गयी, जले सुभग शुचि दीप।
कानन-कानन झूमतीं, शाख मंजरी नीप॥

कौशल्या अति हर्ष से, भीग गये दृग कोर।
राम जन्म का हो गया, नगर ढिंढोरा शोर॥