श्लोक
सत्यं व्रत तपः सत्यं, सत्येन श्रीपति प्रजा।
सत्येन ध्ययते पृथ्वी, सत्यमेवम प्रतिष्ठितम्॥
दोहा
सत्य नारायण ब्रत कथा शुरु से आखिर तक।
कहत 'भिखारी' भूमिका, झलकत झकाझक॥
श्री सत्यनारायण व्रत कथा के भूमिका।
चौपाई
श्री सत्यनारायण आये, श्री सत्यानारायण आये।
गंगा-यमुना-सरस्वती के, कही के पंडित समुझाये।
गोदावरी-सिन्धु सब तीरथ, कथा क्षेत्र में छाये।
गोबर से अँगना लिपवाकर, चउरस चउका पुराये।
चउकी बिछाई के बनत सिंहासन, केला खम्भा गड़ाये।
दधि-दूध-घृत-मीठा मध में, प्रेम में मंजन कराये।
तेही अवसर पर श्री ठाकुर जी, पियरी चान्दनी तनाये।
जावत पंचमेवा भण्डार में, तुलसी-पत्र मिलाये।
ललसा परी पुरन, बिलोकी के भक्तन मन हरखाये।
सब श्रोता के दे के बोलहटा, निज जग-करता कहाये।
नवतुन बसतर अपने पहिरत, औरत के पहिराये।
चन्दन पट मउरी ललाट पर बइठत गाँठ जाराये
घई के ध्यान श्री सत्यदेव के, विप्र चरण सिरनाये।
बन्दनवार द्वारा पर झूलत, कलसा दीपक बराये॥
साथ नवग्रह इष्टदेव, सब गौरी गणेश पुजाये।
श्रवन करत कथा के महिमा, पुरोहित आप सुनाये।
धूप जलावत, फुल बरसावत, माला गला में लाये।
जब-जब कथा के अध्याय लागत, तब-तब शंख बजाये।
श्री सत्यनारायण होखत उच्चारण, अन्त में आरती गाये।
चरणोदक-चूरन लेइकर के, धन-धन भाग मनाये।
दास 'भिखारी' कहत दियारा के, अमर लोक पद पाये॥
श्री सत्यनारायण धन हो,
जो कुछ जुरत सो भोग लगावत, बइर-ककरी कन हो, श्री सत्यनारायण धन हो।
गांठ जोरि कर कथा मनोहर श्रवण कर दोऊ जन हो! श्री सत्यनारायण धन हो।
देवता-पितर खुशी हो गइलन, लागल बा निमन लगन हो! श्री सत्य...
आरती गावत, शंख बाजवत, घरी-घंटा टनाटन हो। श्री सत्य...
मन तूँ सत्य संगत में रहीह, झूठ मत सुन कथन हो। श्री सत्य...
सत्य पुरुष के बार्त्ता कहि के, सुनी के रह मगन हो। श्री सत्य...
सत्यवादी का नाम रटना, करत रह हर छन हो। श्री सत्य...
घर-बाहर सब जगह में, कहिहऽ सीता-राम-लछूमन हो। श्री सत्य...
पिता-बचन मानकर सुखधाम, फिरत-फिरत बन-बन हो। श्री सत्य...
ब्रज-बासिन के करहू उचारण, ललित-राधेरमन हो। श्री सत्य...
बंशीधर बनवारी कहिहऽ, नन्द-यशोदा ललन हो। श्री सत्य...
कृष्ण, गोपाल, गोविन्द कहावत, सथ ग्वालन-बालन हो। श्री सत्य...
चारवाही गाइन के केइलन, धई के रूप बचपन हो। श्री सत्य...
कथा पुरातन धर्म सनातन, परत बा हमरा पसन हो। श्री सत्य...
कइसे तीरथ में कहवाँ खोजब, सगुन सत्त सनातन हो। श्री सत्य...
हरिकीर्तन सोची-सोची गइहऽ, श्रवन पूत के रहन हो। श्री सत्य...
जो एक कथा के कहिहन-सुनिहन, भवनिधि से तरीहन हो। श्री सत्य...
दास 'भिखारी' कमल पद चाहत, हरदम मनमोहन हो। श्री सत्य...