मैंने कहा
खूब... खूब...
तुमने गरदनें हिलाईं
स्वर के आरोह
अवरोह से
तालियाँ दे डालीं,
पर
श्रोता का धर्म
श्रवण
सिर्फ श्रवण है
यह सिद्ध किया
ग्रहण कुछ किया नहीं।
मैंने कहा
खूब... खूब...
तुमने गरदनें हिलाईं
स्वर के आरोह
अवरोह से
तालियाँ दे डालीं,
पर
श्रोता का धर्म
श्रवण
सिर्फ श्रवण है
यह सिद्ध किया
ग्रहण कुछ किया नहीं।