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षोडष शृंगार / शशि पाधा

नील गगन पर बिखरी धूप,
किरणें बाँधें वन्दनवार
कुसुमित,शोभित आँगन बगिया
चन्दन सुरभित चले बयार
नव वर्ष अभिनन्दन में
नीड़-नीड़ गुँजित गुँजार

दूर देश से पाहुन आया
चकित-मुदित सी आन मिली
अक्षत-चन्दन भाल संवारे
देहरी पे बन ज्योत जली

अंजली में ले पुष्पित लड़ियाँ
स्वागत में आ खड़ी द्वार।

भोर किरण से लाया चुनरी
ओस कणों से मुक्तक हार
जवा कुसुम के कर्ण फूल औ
बदली से कजरे की धार
खुली पिटारी, लाँघे देहरी
अँग-अँग छा गई बहार

धरती का षोडष शृंगार
नव वर्ष लाया उपहार!