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संकल्प / नंदेश निर्मल

शिक्षक जब कक्षा में आए
सब लड़के उठ खड़े हुए
कर प्रणाम आशीष लिया सब
औ पढ़ने में लीन हुए।

रामू से गुरुवर ने पूछा –
“तुमको पढ़कर क्या बनना है ?”
रामू झट से बोल पड़ा तब –
“मुझे चिकित्सक सर बनना है”।

किया प्रशन फिर से गुरूवर ने –
“मकसद क्या है, सोच बताओ”।
झट से बोल पड़ा रामू तब -
“ जनसेवा की ज्योति जलाओ”।

फूले नहीं समाए गुरूवर
शिक्षा का यह रंग देखाकर
गर्व झलक आई गुरुता की
लड़के का यह लक्ष्य जान कर।

तब रघुवर पर दृष्टि धरते
गुरू शिष्य से प्रशन किया यह –
“तुम अपनी मंजिल बतलाओ,
और साथ ही ध्येय बताओ”।

रघुवर पल भर सोचा, फिर वह
दृढ़ निश्चय से बोल पड़ा –
“ मैं तो बुद्ध बनूँगा गुरूवर
दुनियाँ को अब अमन चाहिए”।