राग: गौरी
संग न छाँडौं मेरा पावन पीव।
मैं बलि तेरे जीवन जीव॥टेक॥
संगि तुम्हारे सब सुख होइ।
चरण-कँवलमुख देखौं तोहि॥१॥
अनेक जतन करि पाया सोइ।
देखौं नैनौं तौ सुं होइ॥२॥
सरण तुम्हारी अंतरि बास।
चरण-कँवल तहँ देहु निवास॥३॥
अब दादू मन अनत न जाइ।
अंतर बेधि रह्यो लौ लाइ॥४॥