दो देशों की दूरियाँ लाँघकर
आज जब अचानक
तुम्हारा संदेशा आया
मैंने जाना
कि समय की सीपी से
याद का मोती निकाल
वह जो मैंने गूँथी थी
नेह के धागे से,
वह सच्चे मोतियों की माला थी।
दो देशों की दूरियाँ लाँघकर
आज जब अचानक
तुम्हारा संदेशा आया
मैंने जाना
कि समय की सीपी से
याद का मोती निकाल
वह जो मैंने गूँथी थी
नेह के धागे से,
वह सच्चे मोतियों की माला थी।