गौतम रोॅ ई टा धरती
दुनियाँ में कत्तेॅ प्यारो छै
देवसिनी सें भरलोॅ भारत
सब देशोॅ से न्यारोॅ छै॥
करम-धरम रामायण, केॅ
गीता के पाठ पढ़ावै छै
गुरु-महिमा केॅ गौरब गाथा
सगरो याद दिलावै छै॥
झगड़ा-झंझट नै चाहै
दुश्मन के धुरा चटाबै छै
जे कोय चाहै छै संग होवोॅ
सबसें हाथ मिलावै छै॥
खेत-खेत के हरिहर पत्ता
सत्ता रचै रचाबै छै
उच्चोॅ-नीचोॅ, टीलोॅ-टाकर
सबकेॅ भेद मिटाबै छै॥
आवोॅ सभ्भे मिली-जुली
भारत केॅ चलोॅ बढ़ावोॅ नी
जीयोॅ-जीयेॅ देॅ सभ्भेॅ के
गिरला केॅ चलोॅ उठावोॅ नी॥
‘रानीपुरी’ यही संदेश सुनावै
रचि-रचि गावै छै
भारत संस्कार लेॅ-
दुनियाँ केॅ देशोॅ केॅ भावै छै॥