संभलो दर्शको
ऊब की मक्खी को
अपनी उम्मीद की पोशाक पर बैठने न दो
सम्भव है नींद खुलने पर इस बार
किसी बदली हुई दुनिया में जागें हम
जागने से बड़ी है इस बार
पोशाक
संभलते दर्शको
संभलो दर्शको
ऊब की मक्खी को
अपनी उम्मीद की पोशाक पर बैठने न दो
सम्भव है नींद खुलने पर इस बार
किसी बदली हुई दुनिया में जागें हम
जागने से बड़ी है इस बार
पोशाक
संभलते दर्शको