होखे कबो झगड़ा
चाहे तकरार
ओहू में छलके
माई-चाची के दुलार
रहि-रहि सुनाला ओहिमे
हुँशियारी, नादानी
एक्के झगड़वा में
दस गो कहानी।
ऊ झगड़ा ना,
रहे रिश्ता के जहान
रोज नया रचे-बसे
उघटा-पुरान।
केहू पूछे
मिले केहू से जवाब
तबो सब पर चले
सबके हाँक-दाब।
कहे माई
मत करऽ
नया-नया खेल
छुछुन्नर के माथे
चमेली के तेल।
रचि-रचि करें धनि
सोरहों सिंगार
सगरे सिंगार
घेंघवे बिगाड़।
इचिको ना सहाव
चाची से ई चोट
बड़-बड़ बात करें
कऽ केे गोट-गोट
अरवा चाउर पर
भात डभकउआ
किने के ना दम बाटे
नाम हऽ बिकउआ।
बिगड़े बिटिअवा तऽ
कहेली नागरनाचीन
सात मुस खा के
बिलार भइली भगतीन।
केतनो झगड़ा रहे
बसल रहे तबो प्यार
अब ना ऊ घर बा
ना ऊ परिवार
ना बाड़ी माई-चाची
ना ओह रिश्तन के ताना-बाना
बदलत समइया में
बदल गइल जमाना।
नीको बात पर अब
गरे पड़ेला फाँसी
केकरा से आस करीं
बारी-के-बारी कोइलासी।
छोड़ीं बैर-भाव
काऽ बाऽ दूरी तकरार में
बड़ा ताकत होला बाकिर
एगो संयुक्त परिवार में।