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संवाद / अनुभूति गुप्ता

जहाँ
अधूरे थे
प्रेमी-प्रेमिका के संवाद,
वह जीवन था।

पूरे जहाँ हुए थे,
संवाद
वहाँ थी
उदासी
और
रिश्ते में प्रेम की
निर्मम हत्या।