उजले फूल दुकान के
थके से लगे मुझे।
मैंने पूछा खुद से: ‘गुलाबी फूल कहीं बंद हैं तुम्हारे भीतर!’
क्या तुम्हारा किशोर खो गया है पारी में
दुकान में सजे फूल
चुपचाप सोचते हैं: रंग पर, ताज़गी पर, उमंग पर
तुम क्या खो चुके हो पारी में।
उजले फूल दुकान के
थके से लगे मुझे।
मैंने पूछा खुद से: ‘गुलाबी फूल कहीं बंद हैं तुम्हारे भीतर!’
क्या तुम्हारा किशोर खो गया है पारी में
दुकान में सजे फूल
चुपचाप सोचते हैं: रंग पर, ताज़गी पर, उमंग पर
तुम क्या खो चुके हो पारी में।