Last modified on 26 फ़रवरी 2020, at 18:10

संवैधानिक अधिकार / अरविन्द भारती

सदियों से
तुम ही तो
करते आये हो निर्धारित
कि हमें क्या करना है और क्या नही

पर सुनो!
कान खोल कर सुनो!
अब हमारे पास है
संविधान की ताकत

हमे अच्छे से पता है
अपने संवैधानिक अधिकार

तुम्हारे मंदिर
मूर्तियों से
कोई प्रेम नहीं हमे

अगर तुम्हें है
तो अपने घर में बनाओ मंदिर
खुद ही करो दर्शन / पूजा / अर्चना
पर
अपने सड़े हुए विचारों की
उल्टी मत करों।