सकती बन लगे लछुमनजी के, कोमल गात, उमिरिया के थोरी।।१।।
जो कोई बीर राम के दल में, भाई हो भरतजी के खवर हो जनाई।
हो विधि भइले ए बाम, बिछुड़ि गइले जोड़ी।।२।।
गिरि धवला पर मूल सजीवन, फेड़-फेड़ पर दीपक जराई।
विधि भइले बाम, बिछुड़ि गइले जोड़ी।।३।।
केथिकर सिलवट, केथिकर लोढ़े, कूंचि-कांचि लछुमन के पिआई।
विधि भइले बाम, बिछुड़ि गइले जोड़ी।।४।।
सकती बान लगे लछुमन के, कोमल गात उमिरिया के थोरी।।५।।