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सखी मेरी नींद नसानी हो / मीराबाई

सखी मेरी नींद नसानी हो।
पिवको पंथ निहारत सिगरी रैण बिहानी हो।

सखियन मिलकर सीख द मन एक न मानी हो।
बिन देख्यां कल नाहिं पड़त जिय ऐसी ठानी हो।

अंग-अंग ब्याकुल भ मुख पिय पिय बानी हो।
अंतर बेदन बिरहकी कोई पीर न जानी हो।

ज्यूं चातक घनकूं रटै मछली जिमि पानी हो।
मीरा ब्याकुल बिरहणी सुध बुध बिसरानी हो।