सखी री आज जनम लियौ सुख दाई.
दूसर कुल में प्रगट हुए हैं, बाजत अनँद बधाई॥
भादों तीज सुदी दिन मंगल, सात घड़ी दिन आये।
सम्बत् सत्रह साठ हुते तब, सुभ समयो सब पाये॥
जैजैकार भयौ सधि गाऊँ, मात पिता मुख देखौ।
जानत नाहिंन कौन पुरुष हैं, आये हैं नर भेखौ॥
संग चलावन अगम पन्थ कूं, सूरज भक्ति-उदय को।
आप गुपाल साधनन धारयौ, निहचै मो मन ऐसो॥
गुरु सुकदेव नाँव धरि दीन्हौ, चरनदास उपकारी।
सहजोबाई तन मन बारै, नमो-नमो बलिहारी॥