निराकार आंधी ई
दीन्हौ ओ रूप
लखीजै जकौ धोरौ।
आंधी नीं
आ आतमा है
आज अठै
कालै कठै
बसेरौ नवी काया
नवो रूप
बेसकां क्यूँ
थूं रूंखड़ा!
निराकार आंधी ई
दीन्हौ ओ रूप
लखीजै जकौ धोरौ।
आंधी नीं
आ आतमा है
आज अठै
कालै कठै
बसेरौ नवी काया
नवो रूप
बेसकां क्यूँ
थूं रूंखड़ा!