♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
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सगरे समैया कोसी मैया, सुती-बैठी गमैले हे
कोसी मैया सजलै बरीयात हे भादो मास
सब केरोॅ नैया हे कोसी माय
अमरपुर पहुँचलेॅ हे मोरा नै
हे मोरो नैया देलेॅ भसियाय
यही पार देबै कोसी माय दसौना बीर पान
वही पार देबै कोसी माय
दुधवा के ढार देबहै वही पार
जानू, कानू, जानू, खीझू मल्लाहा रे मैया
नैयो लगैबौ सीधे धार ।