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सचमुच तेरी बड़ी निराशा / हरिवंशराय बच्चन

सचमुच तेरी बड़ी निराशा!

जल की धार पड़ी दिखलाई,
जिसने तेरी प्यास बढाई,
मरुथल के मृगजल के पीछे दौड़ मिटी सब तेरी आशा!
सचमुच तेरी बड़ी निराशा!

तूने समझा देव मनुज है,
पाया तूने मनुज दनुज है,
बाध्य घृणा करने को यों है पूजा करने की अभिलाषा!
सचमुच तेरी बड़ी निराशा!

समझा तूने प्यार अमर है,
तूने पाया वह नश्वर है,
छोटे से जीवन से की है तूने बड़ी-बड़ी प्रत्याशा!
सचमुच तेरी बड़ी निराशा!