सच्चे दोस्त के मानिंद
हर पल
साथ रहता मेरे
बहुत चाहा कि
वह मेरा साथ छोड़ दे
समझाया
मनाया
फटकारा
दुत्कारा उसे
पर एक जिद्दी बच्चे - सा वह
कभी मेरे गले से लिपट जाता
कभी मचल कर
गोद में बैठ जाता
तमाम कोशिशों के बावजूद
वह छोड़ कर जाता नहीं
संग सोता
साथ जागता
यूं लगता है
दर्द
अनजाना जीवन साथी हो जैसे