धूप के बर्तन में से उठाकर
उसने दिए कुछ छांह के टुकड़े
और बोला उससे-
"यह लो उपहार मेरी ओर से
अब तुम्हें नहीं लगेगी गर्मी
नहीं आएगा पसीना
बहो हवा में, छू लो आसमान
जिसका सूरज
दबा है मेरी मुट्ठी में"
उसने लपेट लिया है खुद को
उन टुकड़ों में
और परोस रहा है यह झूठ
सच के आसपास