मुझे सच नहीं लगता
माँ कभी मगरमच्छ के आँसू नहीं रोती
रोती है उसकी विवशता।
देवरारू-सा पिता
अपने में तना हुआ
झील में गहराई नापता है।
ओस की बूँद का अस्तित्व
क्षण में समाप्त हो जाता है
हज़ारों साल की उम्र
उस पल शरमा जाती है।
मुझे सच नहीं लगता
माँ कभी मगरमच्छ के आँसू नहीं रोती
रोती है उसकी विवशता।
देवरारू-सा पिता
अपने में तना हुआ
झील में गहराई नापता है।
ओस की बूँद का अस्तित्व
क्षण में समाप्त हो जाता है
हज़ारों साल की उम्र
उस पल शरमा जाती है।