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सच नहीं लगता / शशि सहगल

मुझे सच नहीं लगता
माँ कभी मगरमच्छ के आँसू नहीं रोती
रोती है उसकी विवशता।
देवरारू-सा पिता
अपने में तना हुआ
झील में गहराई नापता है।
ओस की बूँद का अस्तित्व
क्षण में समाप्त हो जाता है
हज़ारों साल की उम्र
उस पल शरमा जाती है।