Last modified on 22 दिसम्बर 2007, at 16:08

सजनवा बैरी हो गए हमार / शैलेन्द्र

सजनवा बैरी हो गए हमार !


जाए बसे परदेस सजनवा, सौतन के भरमाए

न संदेस, न कौनउं ख़बरिया, रुत आए रुत जाए

डूब गए हम बीच भंवर में, करके सोलह पार

करमवा बैरी हो गए हमार !


सूनी सेज, गोद मेरी सूनी, मरम न जाने कोय

छटपट तड़पे प्रीत बेचारी, ममता आँसू रोए

ना कोई इस पार हमारा, ना कोई उस पार

सजनवा बैरी हो गए हमार !