ऊंट सुनता है
सड़क के भीतर से निकलती
गांव से गई
खुशियों को
जो लौटती है शहर से
चीखें बन कर
इस लिए
ऊंट चलना चाहता है
सड़क को छोड़ कर
मगर
बेबस है
अपनी नाक के कारण
जिसकी मोहरी
थाम कर गांव
जाना चाहता है
शहर में
सड़क के सहारे
बेधड़क।
ऊंट सुनता है
सड़क के भीतर से निकलती
गांव से गई
खुशियों को
जो लौटती है शहर से
चीखें बन कर
इस लिए
ऊंट चलना चाहता है
सड़क को छोड़ कर
मगर
बेबस है
अपनी नाक के कारण
जिसकी मोहरी
थाम कर गांव
जाना चाहता है
शहर में
सड़क के सहारे
बेधड़क।