रेत नहीं चाहती
पगडंडियों को खोना
बिफर जाती है
गांव की ओर बढ़ती
सड़क पर
और
हांय-हांय करती
बिछ जाती है
उलट कर
सड़क पर
क्योंकि, वह जानती है
सड़क ले जाएगी
ढो कर गांव से
अथाह मुहब्बत
और
कर देगी कत्ल
किसी शहरी चौराहे पर।
रेत नहीं चाहती
पगडंडियों को खोना
बिफर जाती है
गांव की ओर बढ़ती
सड़क पर
और
हांय-हांय करती
बिछ जाती है
उलट कर
सड़क पर
क्योंकि, वह जानती है
सड़क ले जाएगी
ढो कर गांव से
अथाह मुहब्बत
और
कर देगी कत्ल
किसी शहरी चौराहे पर।