उसके इर्द-गिर्द कुछ नहीं है
हवा वहाँ गोल-गोल घूम कर
मुड़ जाती है
घास नहीं जमती हवा
घिसटते हुए लौट आते हैं क़दम
उछल कर पार कर जाए
इतनी हिम्मत उम्मीद भी नहीं करती
दबे पाँव वापस आता है इरादा
और वक़्त भी बेबस ठहरा...
आगे रास्ता बंद है
प्रेम का