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सतरंगी काया! / संजय आचार्य वरुण

राती हुयोड़ी आंख्यां
पीळौ हुळक मूंडौ
बखत सूं पैली
काळासी गमायोड़ा
धौळा केस
चामड़ी रै मांय सूं
झाकौ घालती
हरी टांच नाड्यां
आख्यां नीचै फैल्योड़ौ
बैंगणी अमूजौ
अर डोळां रै
आसै पासै तिरता
गुलाबी डोरा
ऐड़ै गैड़ै लैरांवतौ
काळमस
म्हैं मानग्यो
सांच कैवै है लोग
के जीवन है
सतरंगो इंद्रधनुष।