बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सतरंजी के लौटौ बिछौना
भीतर चलौ हो बलमा।
जो मेरौ पैलौ मिलौना।
भीतर चलौ हो बलमा।
सतरंजी के लौटो बिछौना।
सतरंजी के लौटौ बिछौना
भीतर चलौ हो बलमा।
जो मेरौ पैलौ मिलौना।
भीतर चलौ हो बलमा।
सतरंजी के लौटो बिछौना।