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सत्तू / मुन्ना पाण्डेय 'बनारसी'

सत्तू जैसा कुछ नहीं,गरमी का आहार ।
आम पुदीना मिर्च की, चटनी हो चटकार ।
चटनी हो चटकार, न कोई तेल मसाला ।
नमक मिलाया और, कचाकच पानी डाला।
रहे हमारे गाँव , एक दादा खरपत्तू ।
कहते मुन्ना सुनो , काट गरमी का सत्तू ।।