दिसंबर १९३३ में महात्मा गाँधी दमोह आये थे, उनके प्रवास के पश्चात गाँधी जी के अनुयायी, प्रख्यात विधि वेत्ता, स्वतंत्रता सेनानी एवं साहित्यविद झुन्नीलाल जी वर्मा के यहाँ एक बालक का जन्म हुआ. पिता ने गाँधी के नाम पर पुत्र का नाम मोहन रखा जो कालांतर में सत्य मोहन वर्मा बना.
एक साहित्यकार के रूप में श्री वर्मा की कवितायेँ, लेख, समीक्षाएं आदि देश की अग्रणी पत्रिकाओं धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, प्रकार, समावर्तन, गंगा, आदि में प्रकाशित हुए एवं होते रहते हैं. अपने पहले कवि सम्मलेन उन्हें वृन्दावन लाल वर्मा का आशीर्वाद मिला. भवानी प्रसाद मिश्र के प्रोत्साहन पर सत्यमोहन, विट्ठल भाई पटेल एवं दिनकर सोनवलकर का संयुक्त संकलन दीवारों के खिलाफ प्रकाशित हुआ था उस के बाद सही मायनों में उन की काव्य यात्रा गतिमान हुई.
सत्यमोहन क्रिकेट एवं टेनिस के कुशल खिलाड़ी हैं एवं कुशल नाट्य शिल्पी भी हैं. उन्होंने ३ बार अखिल भारतीय अंतर विश्व विद्यालय युवक समारोह में सागर वि. वि. का प्रतिनिधित्व किया, सर्जना ७७, नवोदित, अभिनिवेश, सबकी खबर, आदि का संपादन किया. स्पिक मेके की रचनाओं के संग्रह “चिंतन” का हिंदी अनुवाद भी किया जो काफी चर्चित एवं लोकप्रिय हुआ. “बुंदेलखंड गान” की रचना की जिसे प्रख्यात सिने गायक “विनोद राठौर” ने स्वरबद्ध किया है. मुंबई से प्रकाशित मासिक पत्रिका “समावर्तन" के सलाहकार मंडल के सक्रिय सदस्य हैं तथा अत्यंत लोकप्रिय और स्नेहयुक्त-समादर के सुपात्र के रूप में विख्यात हैं.