आग्यो
छेकड़
सेस रो नाको
कोनी जाणै सकै
इण स्यूं आगै
छन्द रो रथ
कोनी राजपथ
मुंडागै
सत री सांकड़ी गेली
चालणो पड़सी
उतर’र अबै तो
विचार नै उंपाळो
पकड़’र
बां सबदां रो बूकीयो
जकां री
दीठ ऊजळी’र
पग साचा !
आग्यो
छेकड़
सेस रो नाको
कोनी जाणै सकै
इण स्यूं आगै
छन्द रो रथ
कोनी राजपथ
मुंडागै
सत री सांकड़ी गेली
चालणो पड़सी
उतर’र अबै तो
विचार नै उंपाळो
पकड़’र
बां सबदां रो बूकीयो
जकां री
दीठ ऊजळी’र
पग साचा !