आख़िरी पुकार
कभी अनसुनी नहीं रही
मरने-मरने को होते थे कि जी जाते थे
इसी से ईश्वर के होने का सन्देह होता था
कोई था जो हमें बचाता रहता था !
आख़िरी पुकार
कभी अनसुनी नहीं रही
मरने-मरने को होते थे कि जी जाते थे
इसी से ईश्वर के होने का सन्देह होता था
कोई था जो हमें बचाता रहता था !